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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1- वयः सन्धि में लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता का वर्णन कीजिए।
2- वयःसंधि में लड़कों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता का वर्णन कीजिए।
3- वयः सन्धि में लैंगिक क्रिया-कलापों का वर्णन कीजिए।
4- वयः सन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग बताइये।
5- वयः सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

(a) वय: सन्धि में यौन सम्बन्धी परिपक्वता - वयः सन्धि में शरीर के आकार का तेजी से बढ़ना यौन सम्बन्धी कार्यों से सम्बन्धित होता है। यौन सम्बन्धी गुणों का विकास किशोर व किशोरियों में एक निश्चित क्रम में अलग-अलग प्रकार से होता है जो निम्नलिखित हैं-

(i) लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता - सामान्यतया लड़कियों में वयःसन्धि की शुरुआत उनके वक्षस्थलों के कली के रूप में विकसित होने से अचानक तीव्र वृद्धि से होती है। औसत रूप से लड़कियों में प्रथम मासिक धर्म का होना 12.8 वर्ष की आयु में पाया जाता है। लेकिन कभी-कभी 10.5 वर्ष की आयु से 15.5 वर्ष के मध्य में भी मासिक धर्म की शुरूआत हो सकती है।

मासिक धर्म के शुरू होने में वातावरण तथा खान-पान का बहुत प्रभाव पड़ता है। पहले मासिक धर्म के 3-4 सालों के भीतर ही ज्यादातर लड़कियों में यौन अंगों के बालों, स्तनों का विकास तथा बगल के बालों के उगने का क्रम पूर्ण हो जाता है। प्रकृति लड़कियों में तब तक यौन सम्बन्धी परिपक्वता को स्थगित करती है जब तक कि लड़कियों का शरीर पर्याप्त रूप से बड़ा नहीं हो जाता है। इसलिए लड़कियों में लम्बाई बढ़ने के उच्चतम स्तर के बाद ही पहले मासिक धर्म की शुरूआत होती है। मासिक धर्म के 12 से 18 महीने तक लड़कियों में परिपक्व अण्डाणु नहीं होता है। सुरक्षा की यह अस्थायी अवधि प्रत्येक लड़की में पायी जाय यह आवश्यक नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि इस अस्थायी अवधि में प्रत्येक किशोरी गर्भवती नहीं होगी और हर किशोरी को इस अवधि में गर्भवती होने से संरक्षण प्राप्त होता है।

(ii) लड़कों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता - लड़कों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता का पहला चिन्ह उनके अण्डकोषों का आकार बढ़ना है। अण्डकोषों में ही शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके कुछ समय बाद ही उनके यौन अंगों में बाल उगना प्रारम्भ हो जाते हैं और इसी समय उनके लिंग का आकार बढ़ना शुरू हो जाता है।

लड़कों में वयःसन्धि सम्बन्धी घटनाओं का होना उनकी वृद्धि में अचानक तेजी से पहले शुरू हो जाता है, जबकि लड़कियों में उल्टा होता है। करीब 14 वर्ष की आयु तक उनके अण्डकोष एवं लिंग का विकास करीब पूर्ण हो जाता है और उसके तुरन्त बाद उसके बगलों में बाल उगना शुरू हो जाता है। चेहरे पर शरीर के बाल भी इसके साथ-साथ, धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। लड़कों में शारीरिक परिपक्वता का दूसरा महत्वपूर्ण बिन्दु उसकी आवाज का भारी होना होता है। सामान्यतया लड़कों की आवाज 14 वर्ष की आयु में भारी होना शुरू हो जाती है जब उनकी लम्बाई में तेजी से वृद्धि हो रही होती है।

लड़कों में लिंग वृद्धि होने के साथ-साथ प्रोस्टेट ग्रन्थि का बड़ी होना भी शुरू हो जाता है जो वीर्य बनाने में सहायक होती है। 13 वर्ष की आयु तक लड़कों में पहली बार वीर्य निकालने की क्षमता उत्पन्न होती है। शुरू में लड़कों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम होती है कुछ समय बाद धीरे-धीरे बढ़ जाती है।

(b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप - वयःसन्धि आने पर शरीर के भीतर एन्ड्रोजन हार्मोन्स का स्राव होने के कारण सैक्स सम्बन्धी इच्छाएं बढ़ जाती हैं। इस समय किशोर- किशोरियाँ इस बात के लिए अधिक चिन्तित रहते हैं कि वे अपनी सैक्स सम्बन्धी इच्छाओं को सामाजिक सम्बन्धों के साथ किस प्रकार नियन्त्रित करें। ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को वयःसन्धि अवधि में सैक्स के सम्बन्ध में बहुत कम जानकारी देते हैं, उन्हें किसी भी तरह की लैंगिक क्रिया-कलाप के लिए हतोत्साहित करते हैं और उनके सामने सैक्स से सम्बन्धित वार्तालाप नहीं करते हैं। इसलिए ज्यादातर किशोर-किशोरियाँ अपनी सैक्स सम्बन्धी जिज्ञासा शान्त करने के लिए अपने दोस्तों, अश्लील साहित्य, इण्टरनेट, टी. वी. सिनेमा आदि से जानकारी प्राप्त करते हैं।

कुछ दशकों पूर्व विकसित देश जैसे अमेरिका, कनाडा आदि में विवाह से पूर्व लैंगिक सम्बन्धों में अत्यन्त खुलापन था। लेकिन लैंगिक बीमारियां विशेष रूप से एड्स तथा सैक्स सम्बन्धी अनेक कार्यक्रमों द्वारा अब विकसित देशों में भी विवाह से पूर्व लैंगिक सम्बन्ध बनाने में संकीर्णता की भावना उत्पन्न होने लगी है। अध्ययनों में देखा गया है कि वयःसन्धि में किशोरियों की अपेक्षा किशोर लैंगिक सम्बन्ध बनाने में अधिक इच्छुक रहते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के किशोर-किशोरियाँ लैंगिक क्रिया-कलापों में अधिक रुचि लेते हैं।

एक अध्ययन में देखा गया है कि 15 से 17 वर्ष की आयु के किशोर किशोरियों में 3 से 6 प्रतिशत लोग लिस्बियन या 'गे' होना अर्थात् समलैंगिक होना महसूस करते हैं। ज्यादातर समलैंगिक किशोर-किशोरियाँ अपनी समलैंगिकता को स्वीकार कर लेते हैं लेकिन उनके सामने यह एक बड़ी समस्या होती है कि वे अपने माता-पिता तथा दोस्तों को इसके बारे में किस प्रकार बतायें क्योंकि उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उन्हें तिरस्कृत न कर दिया जायें। अतः वह आम किशोर-किशोरियों की भाँति व्यवहार करते हैं।

(e) वयः सन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग - वयः सन्धि के मध्य में लगभग 14-15 वर्ष की आयु में कुछ किशोर-किशोरियाँ छिप छिपकर सिगरेट, शराब तथा अन्य गैर-कानूनी नशीली दवाईयां लेने लगते हैं। विकसित देशों में किशोर-किशोरियों में यह आदत व्यापक रूप से पाई जाती है। एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में 14 वर्ष की आयु तक के 56 प्रतिशत नवयुवक सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं, 70 प्रतिशत शराब व बीयर का सेवन करने लगते हैं व 30 प्रतिशत गैर-कानूनी नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने लगते है।

विकसित देशों में वयःसन्धि में किशोर-किशोरियाँ इसलिए नशीले पदार्थों का उपयोग करने लग जाते हैं क्योंकि उनके सामाजिक वातावरण में इस प्रकार के पदार्थों का इस्तेमाल आमतौर पर किया जाता है। वह अपने से बड़े लोगों को दिन-प्रतिदिन की परेशानियों का सामना करने के लिए इस प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन करते रोज देखते हैं। वयस्कों के इस व्यवहार को जानने की जिज्ञासा वयःसन्धि के किशोर-किशोरियों में होती है। इस कारण वे वयस्कों को देखकर इन नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। वयःसन्धि में किशोर-किशोरियों में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने की लत नहीं होती है, बल्कि वे जिज्ञासावश इनका इस्तेमाल करते हैं। इस अवस्था में यदि किशोरों द्वारा गैर-कानूनी नशीले पदार्थों की अधिक मात्रा का एक बार में सेवन कर लिया जाता है तो उनमें स्थायी क्षति या मृत्यु होने की बहुत अधिक सम्भावनाएँ होती हैं। जब किशोर-किशोरियाँ इन नशीले पदार्थों का जिज्ञासा के स्थान पर नियमित इस्तेमाल करने लग जाते हैं तो उनकी यह आदत बुरी लत में परिवर्तित हो जाती है।

वयः सन्धि में किशोरों में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने की लत जीवनपर्यन्त प्रभाव डालती है। उनके निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, समायोजन सम्बन्धी समस्यायें एवं अवसाद से ग्रसित हो जाते हैं। वे अपने आने वाले जीवन में अनेक क्षेत्रों में असफल रहते हैं।

जिन किशोर एवं किशोरियों को नशीले पदार्थों के सेवन की लत हो जाती है तो उनकी इस लत से छुटकारा उन्हें दिलाया जा सकता है। इसके लिए उन्हें अनेक प्रकार से शिक्षित किया जाता है तथा ड्रग्स के दुष्परिणामों को बताया जाता है और उनको यह भी सिखाया जाता है कि प्रतिदिन के तनाव का सामना कैसे करें और इन नशीले पदार्थों के उपयोग से दूर रहें।

(d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ - वयःसन्धि में किशोर तथा किशोरियों की आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ अचानक बढ़ जाती हैं। ऐसा उनकी शारीरिक वृद्धि के कारण होता है और वह नाटकीय रूप से बहुत अधिक खाना खाने लगता है। वयःसन्धि में तीव्र विवृद्धि के दौरान किशोरों को प्रतिदिन 2700 कैलोरी के साथ-साथ अधिक प्रोटीन की भी आवश्यकता होती है। जबकि किशोरियों को प्रतिदिन 2200 कैलोरी व किशोरों की अपेक्षा कुछ कम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

विकास की अन्य अवस्थाओं की अपेक्षा वयःसन्धि में किशोर एवं किशोरियाँ कोल्ड ड्रिंक साफ्ट ड्रिंक तथा फास्ट फूड आदि से अपने प्रतिदिन की कैलोरीज की आवश्यकता को तो पूरा कर लेते हैं परन्तु वे पोषक आहार जैसे फल, हरी सब्जियाँ, दूध, पनीर इत्यादि नहीं लेते हैं अथवा बहुत कम मात्रा में लेते हैं। यदि कम पोषक तत्वों वाले खान-पान सम्बन्धी इस प्रकार की आदतों को वह लम्बे समय तक बनाये रखते हैं तो वह उनके लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं।

वयः सन्धि अवस्था में सबसे सामान्य रूप से पायी जाने वाली आहार सम्बन्धी समस्या, किशोर किशोरियों में लौह तत्व की कमी है। यदि कोई किशोर-किशोरी ज्यादातर थका-थका सा एवं चिड़चिड़ा प्रकार का रहता है तो ये लक्षण खून की कमी के कारण होता है। ज्यादातर किशोर-किशोरियों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलता है, विटामिन B2 व Mg नहीं मिलता है। जिससे उनके भोजन को रासायनिक पदार्थों में बदलने की क्रिया प्रभावित हो जाती है।

वयःसन्धि अवस्था में अधिकांश किशोर-किशोरी सुन्दर और सुडौल दिखने की चाहत में कम भोजन लेते हैं जिससे उनके शरीर में अनेक पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है जो उनकी वृद्धि एवं विकास के लिए उचित नहीं होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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